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Saturday, 26 May 2012

2014 के लिए कितनी तैयार भाजपा

कांग्रेस का जनाधार जिस  तेजी से खिसक रहा है ...विकल्प के तौर पर भाजपा उभारना स्वाभाविक है...लेकिन लाख  टके का सवाल यह है कि क्या भाजपा 2014 के चुनावों में सशक्त, सक्षम विकल्प दे पाएगी?...क्या भाजपा स्थाई सरकार देने की स्थिति में होगी?... दरअसल मुद्दा यही है , जिन समस्याओं से कांग्रेस जूझ रही है, भाजपा की तस्वीर उससे अलग नहीं है...अगर कांग्रेस के पास 10, जनपथ से संकेत पाकर चलने वाले मनमोहन सिंह हैं तो नितिन गडकरी भी भाजपा की कमान वाया नागपुर संघ मुख्यालय से संभाला रहे हैं...न तो स्वतंत्र फैसले लेने की किसी सर्वमान्य क्षमता का परिचय उन्होंने दिया है न उनके लिए फैसलों से पार्टी की नैय्या डूबने का सिलसिला थमा है...झारखण्ड के राज्यसभा चुनाव इसकी तस्दीक करते हैं...फिर संघ और भजपा के बीच गाहे-बगाहे टकराव भी दिखने लगा है....पार्टी की जड़ों में भी कांग्रेस की तरह अंतर्कलह और गुटबाजी का दीमक लगा हुआ है...राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के बीच धीमे - धीमे सही और क्षेत्रीय क्षत्रपों में तेज़ी से महत्वाकांक्षा की चिंगारी भड़क रही है ...जो समय -  समय पर बागी तेवरों की शक्ल में सामने आते रहते हैं....अगर पार्टी इन समस्यों से समय रहते पीछा न छुड़ा सकी तो मुमकिन है आम चुनावों में पार्टी चूक जाए....

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