सम्पादक - पीठ
अन्ना विजय -अम्बाला जय
निस्संदेह धर्मवीर का अनशन प्रशंसनीय है.....अन्ना - धर्मवीर जैसे लोग इस राष्ट्र कि वास्तविक संपत्ति हैं ...अतः धर्मवीर का भी नगरवासियों में वही सम्मान होना चाहिए जो अन्ना का देशवासियों में है.... उत्सव के इन क्षणों में धर्मवीर के त्याग, समर्पण, बलिदान को पूर्ण संवेदनशीलता के साथ स्वीकार करना चाहिए...
अन्ना का सशक्त नेतृत्व व प्रचंड जनसमर्थन की परिणति अंततः सशक्त लोकपाल के मार्ग प्रशस्त होने के रूप में हुई....अन्ना के इस अभियान में अम्बाला का योगदान भी सदैव उल्लेखनीय रहेगा...प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाले अम्बाला नगर ने इस आन्दोलन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है...12 दिनों में अन्ना को अनशन करते देखना जितना दुखद उतना ही सुखद आना के सर्थन में लोगों के जागरूक प्रकृति को अनुभव करना था....अम्बाला में चहुँओर अन्ना ही अन्ना दृष्टिगोचर हो रहे थे....अन्ना के आन्दोलन को नगरवासियों के प्रचंड समर्थन से यह सिद्ध हुआ है कि हम किसी भी प्रकार के जनांदोलन को निष्कर्ष तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं...अन्ना के अभियान से एक महत्वपूर्ण तथ्य पुनः प्रतिपादित हुआ है कि जनभावना का सम्मान ही लोकतंत्र कि मूल भावना है ....यदि जन जागरूक हो तो जनहित को कोई सरकार ताक़ पर नहीं रख सकती, दीर्घावधि तक जनभावनाओं की उपेक्षा नहीं कि जा सकती....पर इस सबके मध्य जो हमें सर्वाधिक गौरवान्वित करती है वह है धर्मवीर का अनशन....निस्संदेह धर्मवीर का अनशन प्रशंसनीय है.....अन्ना - धर्मवीर जैसे लोग इस राष्ट्र कि वास्तविक संपत्ति हैं ...अतः धर्मवीर का भी नगरवासियों में वही सम्मान होना चाहिए जो अन्ना का देशवासियों में है.... उत्सव के इन क्षणों में धर्वीर का त्याग, समर्पण, बलिदान को पूर्ण संवेदनशीलता के साथ स्वीकार करना चाहिए...
अन्ना विजय -अम्बाला जय
निस्संदेह धर्मवीर का अनशन प्रशंसनीय है.....अन्ना - धर्मवीर जैसे लोग इस राष्ट्र कि वास्तविक संपत्ति हैं ...अतः धर्मवीर का भी नगरवासियों में वही सम्मान होना चाहिए जो अन्ना का देशवासियों में है.... उत्सव के इन क्षणों में धर्मवीर के त्याग, समर्पण, बलिदान को पूर्ण संवेदनशीलता के साथ स्वीकार करना चाहिए...
अन्ना का सशक्त नेतृत्व व प्रचंड जनसमर्थन की परिणति अंततः सशक्त लोकपाल के मार्ग प्रशस्त होने के रूप में हुई....अन्ना के इस अभियान में अम्बाला का योगदान भी सदैव उल्लेखनीय रहेगा...प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाले अम्बाला नगर ने इस आन्दोलन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है...12 दिनों में अन्ना को अनशन करते देखना जितना दुखद उतना ही सुखद आना के सर्थन में लोगों के जागरूक प्रकृति को अनुभव करना था....अम्बाला में चहुँओर अन्ना ही अन्ना दृष्टिगोचर हो रहे थे....अन्ना के आन्दोलन को नगरवासियों के प्रचंड समर्थन से यह सिद्ध हुआ है कि हम किसी भी प्रकार के जनांदोलन को निष्कर्ष तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं...अन्ना के अभियान से एक महत्वपूर्ण तथ्य पुनः प्रतिपादित हुआ है कि जनभावना का सम्मान ही लोकतंत्र कि मूल भावना है ....यदि जन जागरूक हो तो जनहित को कोई सरकार ताक़ पर नहीं रख सकती, दीर्घावधि तक जनभावनाओं की उपेक्षा नहीं कि जा सकती....पर इस सबके मध्य जो हमें सर्वाधिक गौरवान्वित करती है वह है धर्मवीर का अनशन....निस्संदेह धर्मवीर का अनशन प्रशंसनीय है.....अन्ना - धर्मवीर जैसे लोग इस राष्ट्र कि वास्तविक संपत्ति हैं ...अतः धर्मवीर का भी नगरवासियों में वही सम्मान होना चाहिए जो अन्ना का देशवासियों में है.... उत्सव के इन क्षणों में धर्वीर का त्याग, समर्पण, बलिदान को पूर्ण संवेदनशीलता के साथ स्वीकार करना चाहिए...
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