प्रस्तुत हैं रॉक संगीत के सितारे से हमारे प्रतिनिधि हरप्रीत सिंह की वार्ता के कुछ अंश....
जी रॉनी, आपको गाने की प्रेरणा कहाँ से मिली...
गायन तो प्रभु कृपा से ही संभव है ....बाल्यकाल से गायन का ऐसा चाव चढ़ा कि गुनगुनाते - गुनगुनाते ही संगीत मण्डली(बैंड) का मुख्य गायक बन गया...मैं दर्शकों को बताना चाहूँगा कि संगीत मुझे अपने माता-पिता से विरासत में मिला है ...2003 के दौरान यह प्रतिभा उपयुक्त मंचों के माध्यम से लोगों की प्रशंसा बटोरने लगी...उसके बाद मैं चरणबद्ध रूप से संगीत जगत में अपनी पहचान मज़बूत बनाता गया...आज की अगर बात की जाए तो मैं अपनी संगीत मण्डली का संगीत-संयोजक , गीतकार ,मुख्य गायक हूँ... हिंदी व अंग्रेजी में कई गीत रच-गा चुका हूँ....
आप अपनी संगीत-मण्डली के माध्यम से किस प्रकार का संगीतात्मक सन्देश देते हैं....
चूंकि मैंने विधिवत रूप से तरुणकाल में ही गाना प्रारंभ किया था...अतः मेरे गीतों में प्रेम रस की प्रचुरता रहती है ....मेरी व्यक्तिगत मान्यता भी है कि संघर्ष में उलझे इस संसार को संगीत की नितांत आवश्यकता है...निकट भविष्य में हमारी संगीत मण्डली की योजना सामाजिक व युवाओं को प्रभावित करने में सक्षम संगीतात्मक सन्देश देने की है...गिटारवादन की विभिन्न विधाओं में महारत प्राप्त हूँ...
अभी तक आपने किन उपलब्धियों का अर्जन किया है....
जी, गायन के माध्यम से मुझे जो आत्मसंतुष्टि प्राप्त होती है वही मेरी सर्वोच्च उपलब्धि है....इसके अतिरिक्त मैं विश्वविद्यालय में दो बार अपनी प्रस्तुति दे चुका हूँ यह मेरे लिए सौभाग्य का विषय है....इसके अतिरिक्त में विभिन्न अवसरों पर अपनी प्रतिभा के माध्यम से महफ़िल रौशन करता हूँ जिसके प्रत्युत्तर में मुझे दर्शकों से प्राप्त होने वाला प्यार - प्रसंशा ही मेरी बहुमूल्य उपलब्धि है...
आपकी आगामी योजना क्या है....
आप देख रहे हैं इन दिनों देश अन्नान्दोलन का प्रभाव है...इससे में भी प्रेरित हुआ हूँ.... निकट भविष्य में मेरी योजना सामाजिक जनजागरण करने वाले संदेशात्मक प्रस्तुतितियाँ देने की हैं.... निश्चित रूप से समाज को जगाने - झकझोरने हेतू संगीत से बेहतर कोई साधन नहीं होता व एक संगीतज्ञ - गायक के रूप में मैं अपने कर्तव्यों के प्रति संवेदनशील हूँ...
अम्बाला समाचार के पाठकों व अपने प्रसंशकों को क्या सन्देश देना चाहेंगे....
मैं पाठकों से संगीत से सराबोर रहने का आग्रह करूंगा ...संगीत व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाता है....मानवीय भावनाओं को जागृत रखता है ....वहीँ पाठकों को भी अपनी शुभकामनाएं देता हूँ व कामना करता हूँ कि पाठक आपका भरपूर सहयोग करें ताकि आप निरंतर अपने पत्रकारीय व मानवीय कर्तव्यों का निर्वाह करते रहे...
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