6 प्रखंडों में व्यापक पैमाने पर उजागर हुई थी अनियमितता
इस प्रकरण की विवेचना कई बार हो चुकी है किन्तु निष्कर्ष सिरे चढ़ नहीं पाया...सम्प्रति प्रकरण की विवेचना राज्य सतर्कता विभाग के छः विशेष दलों का गठन कर सौंप दी गयी है....2007 से 2010 के बीच जिले के सभी 6 प्रखंडों में मनरेगा के अंतर्गत हुए विकास कार्यों में व्यापक स्तर पर अनियमितता उजागर हुई थी...इस सन्दर्भ में तत्कालीन अतिरिक्त उपायुक्त संजीव वर्मा ने राज्य सरकार को प्रतिवेदन भेज प्रकरण का अनावरण किया था....जिसमें विशेषतः वन विभाग द्वारा करवाए गए कार्य व विभाग के कुछ अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया था....
विदित हो कि सरकार को भेजे गए प्रतिवेदन में यह दावा किया गया कि वन विभाग द्वारा मनरेगा के अंतर्गत बनवाए गए उद्यान व लगावाए गए पौधों में लाखों रुपए का घोटाला हुआ....विवेचना के समय पाया गया कि बताई गई जमीन पर न तो कोई उद्यान मिला न ही कोई पौधा.....कुछेक परियोजनाओं को छोड़कर अधिकतर मामलों में लीपापोती कर लाखों रुपए डकारे गए.....
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